दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी - संघ गीत (Divya Dhyeya Ki Or Tapasvi Lyrics)

Divya Dhyeya Ki Or Tapasvi Lyrics in Hindi

दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी,
जीवन भर अविचल चलता है॥

सज धज कर आए आकर्षण,
पग पग पर झूमते प्रलोभन।
हो कर सब से विमुख बटोही,
पथ पर संभल संभल बढता है॥
जीवन भर अविचल चलता है...

अमर तत्व की अमिट साधना,
प्राणो मे उत्सर्ग कामना।
जीवन का शाश्वत व्रत लेकर,
साधक हँस कण कण गलता है॥
जीवन भर अविचल चलता है...

सफल विफल और आस निराशा,
इस की ओर कहाँ जिज्ञासा।
बीहडता मे राह बनाता,
राही मचल मचल चलता है॥
जीवन भर अविचल चलता है...

पतझड के झंझावातों मे,
जग के घातों प्रतिघातों मे।
सुरभि लुटाता सुमन सिहरता,
निर्जनता मे भी खिलता है॥
जीवन भर अविचल चलता है...

दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी,
जीवन भर अविचल चलता है॥

जीवन भर अविचल चलता है...
जीवन भर अविचल चलता है...
जीवन भर अविचल चलता है...

Divya Dhyeya Ki Or Tapasvi Lyrics Image

Divya Dhyeya Ki Or Tapasvi Lyrics
Next Post Previous Post
Comments 💬
WhatsApp Channel  Join Now
Telegram Channel  Join Now