शिव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम (Shiva Ashtottara Shatanama Stotram)

शिव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् - Shiva Ashtottara Shatanama Stotram

शिव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् का पाठ विशेष रूप से सोमवार, प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि, श्रावण मास, तथा किसी भी शिव मंदिर दर्शन या रुद्राभिषेक के समय किया जाता है। इसका पाठ भगवान शिव के 108 नामों के स्मरण से उन्हें प्रसन्न करने और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।

शिव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम

शिवो महेश्वरः शम्भुः पिनाकी शशिशेखरः।
वामदेवो विरूपाक्षः कपर्दी नीललोहितः॥१॥

शङ्करः शूलपाणिश्च खट्वाङ्गी विष्णुवल्लभः।
शिपिविष्टोऽम्बिकानाथः श्रीकण्ठो भक्तवत्सलः॥२॥

भवः शर्वस्त्रिलोकेशः शितिकण्टः शिवाप्रियः।
उग्रः कपाली कामारिरन्धकासुरसूदनः॥३॥

गङ्गाधरो ललाटाक्षः कालकालः कृपानिधिः।
भीमः परशुहस्तश्च मृगपाणिर्जटाधरः॥४॥

कैलासवासी कवची कठोरस्त्रिपुरान्तकः।
वृषाङ्की वृषभारूढो भस्मोद्धूलितविग्रहः॥५॥

सामप्रियः स्वरमयस्त्रयीमूर्तिरनीश्वरः।
सर्वज्ञः परमात्मा च सोमसूर्याग्निलोचनः॥६॥

हविर्यज्ञमयः सोमः पञ्चवक्त्रः सदाशिवः।
विश्वेश्वरो वीरभद्रो गणनाथः प्रजापतिः॥७॥

हिरण्यरेता दुर्धर्षो गिरीशो गिरिशोऽनघः।
भुजङ्गभूषणो भर्गो गिरिधन्वा गिरिप्रियः॥८॥

कृत्तिवासाः पुरारातिर्भगवान् प्रमथाधिपः।
मृत्युञ्जयः सूक्ष्मतनुर्जगद्व्यापी जगद्गुरुः॥९॥

व्योमकेशो महासेनजनकश्चारुविक्रमः।
रुद्रो भूतपतिः स्ताणुरहिर्बुध्न्यो दिगम्बरः॥१०॥

अष्टमूर्तिरनेकात्मा सात्विकः शुद्धविग्रहः।
शाश्वतः खण्डपरशूरजः पाशविमोचनः॥११॥

मृडः पशुपतिर्देवो महादेवोऽव्ययो हरिः।
पूषदन्तभिदव्यग्रो दक्षाध्वरहरो हरः॥१२॥

भगनेत्रभिदव्यक्तः सहस्राक्षः सहस्रपात्।
अपवर्गप्रदोऽनन्तस्तारकः परमेश्वरः॥१३॥

॥ इति श्रीशिवाष्टोत्तरशतनामावळिस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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