श्री शिव अष्टोत्तर शतनामावली - शिव जी के 108 नाम (Shri Shiv Ashtottara Shatnamavali)

Shiva Stotra Ashtottara Shatanamavali | 108 Names of Lord Shiva

Shiva Ashtottara Shatanamavali in Hindi: भगवान शिव की महिमा वेदों, पुराणों और अनेक स्त्रोतों में वर्णित है। उन्हें भोलेनाथ, आशुतोष, त्रिपुरारी जैसे अनेकों नामों से पुकारा जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के 108 नामों, जिन्हें श्री शिव अष्टोत्तर शतनामावली कहा जाता है, का जाप विशेष फलदायी माना गया है। 

भगवान शिव के 108 नामों व इस शिव अष्टोत्तर नामावली का जाप सोमवार, मासिक शिवरात्रि व महाशिवरात्रि पर विशेष फलदायी माना जाता है। इन नामों का नियमित पाठ करने वाले भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के कठिन कार्य भी सहजता से पूर्ण हो जाते हैं।

श्री शिव अष्टोत्तर शतनामावली

ॐ शिवाय नमः।
ॐ महॆश्वराय नमः।
ॐ शंभवॆ नमः।
ॐ पिनाकिनॆ नमः।
ॐ शशिशॆखराय नमः।
ॐ वामदॆवाय नमः।
ॐ विरूपाक्षाय नमः।
ॐ कपर्दिनॆ नमः।
ॐ नीललॊहिताय नमः।
ॐ शंकराय नमः॥ १०॥

ॐ शूलपाणयॆ नमः।
ॐ खट्वांगिनॆ नमः।
ॐ विष्णुवल्लभाय नमः।
ॐ शिपिविष्टाय नमः।
ॐ अंबिकानाथाय नमः।
ॐ श्रीकंठाय नमः।
ॐ भक्तवत्सलाय नमः।
ॐ भवाय नमः।
ॐ शर्वाय नमः।
ॐ त्रिलॊकॆशाय नमः॥ २०॥

ॐ शितिकंठाय नमः।
ॐ शिवप्रियाय नमः।
ॐ उग्राय नमः।
ॐ कपालिनॆ नमः।
ॐ कौमारयॆ नमः।
ॐ अंधकासुरसूदनाय नमः।
ॐ गंगाधराय नमः।
ॐ ललाटाक्षाय नमः।
ॐ कालकालाय नमः।
ॐ कृपानिधयॆ नमः॥ ३०॥

ॐ भीमाय नमः।
ॐ परशुहस्ताय नमः।
ॐ मृगपाणयॆ नमः।
ॐ जटाधराय नमः।
ॐ कैलासवासिनॆ नमः।
ॐ कवचिनॆ नमः।
ॐ कठॊराय नमः।
ॐ त्रिपुरांतकाय नमः।
ॐ वृषांकाय नमः।
ॐ वृषभरूढाय नमः॥ ४०॥

ॐ भस्मॊद्धूळित विग्रहाय नमः।
ॐ सामप्रियाय नमः।
ॐ स्वरमयाय नमः।
ॐ त्रयीमूर्तयॆ नमः।
ॐ अनीश्वराय नमः।
ॐ सर्वज्ञाय नमः।
ॐ परमात्मनॆ नमः।
ॐ सॊमसूर्याग्निलॊचनाय नमः।
ॐ हविषॆ नमः।
ॐ यज्ञमयाय नमः॥ ५०॥

ॐ सॊमाय नमः।
ॐ पंचवक्त्राय नमः।
ॐ सदाशिवाय नमः।
ॐ विश्वॆश्वराय नमः।
ॐ वीरभद्राय नमः।
ॐ गणनाथाय नमः।
ॐ प्रजापतयॆ नमः।
ॐ हिरण्यरॆतसॆ नमः।
ॐ दुर्धर्षाय नमः।
ॐ गिरीशाय नमः॥ ६०॥

ॐ गिरिशाय नमः।
ॐ अनघाय नमः।
ॐ भुजंगभूषणाय नमः।
ॐ भर्गाय नमः।
ॐ गिरिधन्वनॆ नमः।
ॐ गिरिप्रियाय नमः।
ॐ कृत्तिवाससॆ नमः।
ॐ पुरारातयॆ नमः।
ॐ भगवतॆ नमः।
ॐ प्रमथाधिपाय नमः॥ ७०॥

ॐ मृत्युंजयाय नमः।
ॐ सूक्ष्मतनवॆ नमः।
ॐ जगद्व्यापिनॆ नमः।
ॐ जगद्गुरवॆ नमः।
ॐ व्यॊमकॆशाय नमः।
ॐ महासॆनजनकाय नमः।
ॐ चारुविक्रमाय नमः।
ॐ रुद्राय नमः।
ॐ भूतपतयॆ नमः।
ॐ स्थाणवॆ नमः॥ ८०॥

ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः।
ॐ दिगंबराय नमः।
ॐ अष्टमूर्तयॆ नमः।
ॐ अनॆकात्मनॆ नमः।
ॐ सात्त्विकाय नमः।
ॐ शुद्धविग्रहाय नमः।
ॐ शाश्वताय नमः।
ॐ खंडपरशवॆ नमः।
ॐ अजाय नमः।
ॐ पाशविमॊचकाय नमः॥ ९०॥

ॐ मृडाय नमः।
ॐ पशुपतयॆ नमः।
ॐ दॆवाय नमः।
ॐ महादॆवाय नमः।
ॐ अव्ययाय नमः।
ॐ हरयॆ नमः।
ॐ पूषदंतभिदॆ नमः।
ॐ अव्यग्राय नमः।
ॐ दक्षाध्वरहराय नमः।
ॐ हराय नमः॥ १००॥

ॐ भगनॆत्रभिदॆ नमः।
ॐ अव्यक्ताय नमः।
ॐ सहस्राक्षाय नमः।
ॐ सहस्रपदॆ नमः।
ॐ अपवर्गप्रदाय नमः।
ॐ अनंताय नमः।
ॐ तारकाय नमः।
ॐ परमॆश्वराय नमः॥ १०८॥

॥ इति श्री शिवाष्टोत्तर शतनामावली संपूर्णम ॥

Shri Shiv Ashtottara Shatnamavali - Shiv Ji Ke 108 Naam Mantra

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108 Names of Lord Shiva By Anuradha Paudwal Lyrics

हिन्दी अर्थ

शिव जी के 108 नाम हिन्दी अर्थ सहित

क्र. सं. नाम अर्थ
1 शिव कल्याण स्वरूप
2 महेश्वर माया के अधीश्वर
3 शम्भू आनंद स्वरूप वाले
4 पिनाकी पिनाक धनुष धारण करने वाले
5 शशिशेखर सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
6 वामदेव अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7 विरूपाक्ष विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं)
8 कपर्दी जटाजूट धारण करने वाले
9 नीललोहित नीले और लाल रंग वाले
10 शंकर सबका कल्याण करने वाले
11 शूलपाणी हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12 खटवांगी खटिया का एक पाया रखने वाले
13 विष्णुवल्लभ भगवान विष्णु के अति प्रिय
14 शिपिविष्ट सितुहा में प्रवेश करने वाले
15 अंबिकानाथ देवी भगवती के पति
16 श्रीकण्ठ सुंदर कण्ठ वाले
17 भक्तवत्सल भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18 भव संसार के रूप में प्रकट होने वाले
19 शर्व कष्टों को नष्ट करने वाले
20 त्रिलोकेश तीनों लोकों के स्वामी
21 शितिकण्ठ सफेद कण्ठ वाले
22 शिवाप्रिय पार्वती के प्रिय
23 उग्र अत्यंत उग्र रूप वाले
24 कपाली कपाल धारण करने वाले
25 कामारी कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26 सुरसूदन अंधक दैत्य को मारने वाले
27 गंगाधर गंगा जी को धारण करने वाले
28 ललाटाक्ष ललाट में आंख वाले
29 महाकाल कालों के भी काल
30 कृपानिधि करूणा की खान
31 भीम भयंकर रूप वाले
32 परशुहस्त हाथ में फरसा धारण करने वाले
33 मृगपाणी हाथ में हिरण धारण करने वाले
34 जटाधर जटा रखने वाले
35 कैलाशवासी कैलाश के निवासी
36 कवची कवच धारण करने वाले
37 कठोर अत्यंत मजबूत देह वाले
38 त्रिपुरांतक त्रिपुरासुर को मारने वाले
39 वृषांक बैल के चिह्न वाली ध्वजा वाले
40 वृषभारूढ़ बैल की सवारी वाले
41 भस्मोद्धूलितविग्रह सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
42 सामप्रिय सामगान से प्रेम करने वाले
43 स्वरमयी सातों स्वरों में निवास करने वाले
44 त्रयीमूर्ति वेदरूपी विग्रह करने वाले
45 अनीश्वर जो स्वयं ही सबके स्वामी है
46 सर्वज्ञ सब कुछ जानने वाले
47 परमात्मा सब आत्माओं में सर्वोच्च
48 सोमसूर्याग्निलोचन चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
49 हवि आहूति रूपी द्रव्य वाले
50 यज्ञमय यज्ञस्वरूप वाले
51 सोम उमा के सहित रूप वाले
52 पंचवक्त्र पांच मुख वाले
53 सदाशिव नित्य कल्याण रूप वाल
54 विश्वेश्वर सारे विश्व के ईश्वर
55 वीरभद्र वीर होते हुए भी शांत स्वरूप वाले
56 गणनाथ गणों के स्वामी
57 प्रजापति प्रजाओं का पालन करने वाले
58 हिरण्यरेता स्वर्ण तेज वाले
59 दुर्धुर्ष किसी से नहीं दबने वाले
60 गिरीश पर्वतों के स्वामी
61 गिरिश्वर कैलाश पर्वत पर सोने वाले
62 अनघ पापरहित
63 भुजंगभूषण सांपों के आभूषण वाले
64 भर्ग पापों को भूंज देने वाले
65 गिरिधन्वा मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
66 गिरिप्रिय पर्वत प्रेमी
67 कृत्तिवासा गजचर्म पहनने वाले
68 पुराराति पुरों का नाश करने वाले
69 भगवान् सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
70 प्रमथाधिप प्रमथगणों के अधिपति
71 मृत्युंजय मृत्यु को जीतने वाले
72 सूक्ष्मतनु सूक्ष्म शरीर वाले
73 जगद्व्यापी जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
74 जगद्गुरू जगत् के गुरू
75 व्योमकेश आकाश रूपी बाल वाले
76 महासेनजनक कार्तिकेय के पिता
77 चारुविक्रम सुन्दर पराक्रम वाले
78 रूद्र भयानक
79 भूतपति भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
80 स्थाणु स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
81 अहिर्बुध्न्य कुण्डलिनी को धारण करने वाले
82 दिगम्बर नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
83 अष्टमूर्ति आठ रूप वाले
84 अनेकात्मा अनेक रूप धारण करने वाले
85 सात्त्विक सत्व गुण वाले
86 शुद्धविग्रह शुद्धमूर्ति वाले
87 शाश्वत नित्य रहने वाले
88 खण्डपरशु टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
89 अज जन्म रहित
90 पाशविमोचन बंधन से छुड़ाने वाले
91 मृड सुखस्वरूप वाले
92 पशुपति पशुओं के स्वामी
93 देव स्वयं प्रकाश रूप
94 महादेव देवों के भी देव
95 अव्यय खर्च होने पर भी न घटने वाले
96 हरि विष्णुस्वरूप
97 पूषदन्तभित् पूषा के दांत उखाड़ने वाले
98 अव्यग्र कभी भी व्यथित न होने वाले
99 दक्षाध्वरहर दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले
100 हर पापों व तापों को हरने वाले
101 भगनेत्रभिद् भग देवता की आंख फोड़ने वाले
102 अव्यक्त इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
103 सहस्राक्ष हजार आंखों वाले
104 सहस्रपाद हजार पैरों वाले
105 अपवर्गप्रद कैवल्य मोक्ष देने वाले
106 अनंत देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित
107 तारक सबको तारने वाले
108 परमेश्वर परम ईश्वर
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