मीरा के कृष्ण - डॉ कुमार विश्वास (Meera Ke Krishna - Dr Kumar Vishwas: Krishna To Shyam Hai)

मीरा ने मूरत को जो सुलाया,
मीरा ने मूरत को जो सुलाया,
तो नटखट जाग के सो गया होगा॥
नटखट जाग के सो गया होगा...
नटखट जाग के सो गया होगा...
गोद के स्पर्श में मोद को पाकर,
गोद के स्पर्श में मोद को पाकर,
पाहन कोमल हो गया होगा॥
पाहन कोमल हो गया होगा...
पाहन कोमल हो गया होगा...
मीरा ने प्रेम की बेल जो बोई,
मीरा ने प्रेम की बेल जो बोई,
तो कान्हा भी अंकुर बो गया होगा॥
कान्हा भी अंकुर बो गया होगा...
कान्हा भी अंकुर बो गया होगा...
मीरा ने आँसू के मोती सजाये,
मीरा ने आँसू के मोती सजाये,
तो कान्हा भी धागा पिरो गया होगा॥
कान्हा भी धागा पिरो गया होगा...
कान्हा भी धागा पिरो गया होगा...
कान्हा भी धागा पिरो गया होगा...
फूलों में साँप को देख के माला में,
धागे से साँप को सी गयी मीरा॥
धागे से साँप को सी गयी मीरा...
धागे से साँप को सी गयी मीरा...
राणा ने प्याला दिया विष का,
और सोंचा अभी के अभी गई मीरा॥
सोंचा अभी के अभी गई मीरा...
सोंचा अभी के अभी गई मीरा...
मीरा ने विष तो पिया ही नहीं,
ऐसे मौत को मार के जी गई मीरा॥
मौत को मार के जी गई मीरा...
मौत को मार के जी गई मीरा...
कृष्ण के प्रेम का प्याला है ये,
रणधार से प्यार को पी गई मीरा॥
रणधार से प्यार को पी गई मीरा...
रणधार से प्यार को पी गई मीरा...
रणधार से प्यार को पी गई मीरा...
राधा को कृष्ण की देह मिली,
राधा को कृष्ण की देह मिली,
बिन देह के नेह निभा गई मीरा॥
बिन देह के नेह निभा गई मीरा...
बिन देह के नेह निभा गई मीरा...
राधा को कृष्ण की देह मिली,
बिन देह के नेह निभा गई मीरा॥
बिन देह के नेह निभा गई मीरा...
बिन देह के नेह निभा गई मीरा...
ब्रजभूमि में कृष्ण ने रास रचा,
मरुभूमि में फूल खिला गई मीरा॥
मरुभूमि में फूल खिला गई मीरा...
मरुभूमि में फूल खिला गई मीरा...
कृष्ण ने द्वापर में राधा को गाया,
तो कलियुग में कृष्ण को गा गयी मीरा॥
कलियुग में कृष्ण को गा गयी मीरा...
कलियुग में कृष्ण को गा गयी मीरा...
कृष्ण के प्रेम का राधा पे कर्ज़ था,
कृष्ण के प्रेम का राधा पे कर्ज़ था,
राधा का कर्ज़ चुका गई मीरा॥
राधा का कर्ज़ चुका गई मीरा...
राधा का कर्ज़ चुका गई मीरा...
राधा का कर्ज़ चुका गई मीरा...
राधा का कर्ज़ चुका गई मीरा...
कृष्ण तो श्याम है, श्याम है काजल,
कृष्ण तो श्याम है, श्याम है काजल,
काजल आंझ के सो गई मीरा॥
काजल आंझ के सो गई मीरा...
काजल आंझ के सो गई मीरा...
श्याम के नाम को ऐसा रटा,
के गोरी से सांवरी हो गई मीरा॥
गोरी से सांवरी हो गई मीरा...
गोरी से सांवरी हो गई मीरा...
कंत के पंथ में प्रेम के अश्रु की,
वृष्टि से सृष्टि भिगो गई मीरा॥
वृष्टि से सृष्टि भिगो गई मीरा...
वृष्टि से सृष्टि भिगो गई मीरा...
उस खेत की रेत में मोती उगे,
जिस खेत में बैठ के रो गई मीरा॥
खेत में बैठ के रो गई मीरा...
खेत में बैठ के रो गई मीरा...
राणा ने ओझा बुलाया कहा कि,
भूत या प्रेत है मीरा के भीतर॥
भूत या प्रेत है मीरा के भीतर...
भूत या प्रेत है मीरा के भीतर...
राणा ने ओझा बुलाया कहा कोई,
भूत या प्रेत है मीरा के भीतर॥
भूत या प्रेत है मीरा के भीतर...
भूत या प्रेत है मीरा के भीतर...
गिरधर-गिरधर की रट ले,
तज घूँघट घूमती है दर-बेदर॥
तज घूँघट घूमती है दर-बेदर...
तज घूँघट घूमती है दर-बेदर...
जीभ पे गिरधर नाम ना आ सके,
मंत्र कोई ऐसा मारिए इस पर॥
मंत्र कोई ऐसा मारिए इस पर...
मंत्र कोई ऐसा मारिए इस पर...
जीभ पे गिरधर नाम ना आ सके,
मंत्र कोई ऐसा मारिए इस पर॥
मंत्र कोई ऐसा मारिए इस पर...
मंत्र कोई ऐसा मारिए इस पर...
ओझा ने मीरा की आँखों में झाँका,
ओझा ने मीरा की आँखों में झाँका,
तो ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर॥
ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर...
ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर...
ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर...
ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर...
ओझा ने मीरा की आँखों में झाँका,
तो ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर॥
ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर...
ओझा भी गा उठा गिरधर-गिरधर...
बांध के घुंघरू जो नाची तो नाची,
कि नाच को नाच नचा गई मीरा॥
नाच को नाच नचा गई मीरा...
नाच को नाच नचा गई मीरा...
श्याम की मोहनी मूरत देख के,
कि मूरत में ही समा गई मीरा॥
मूरत में ही समा गई मीरा...
मूरत में ही समा गई मीरा...
पीर में नैनों के नीर बहा,
वसुधा पे सुधा बरसा गई मीरा॥
वसुधा पे सुधा बरसा गई मीरा...
वसुधा पे सुधा बरसा गई मीरा...
प्रेम के गीत क्या गाये कोई,
प्रेम के गीत क्या गाये कोई,
अब गाना था जो सब गा गई मीरा॥
गाना था जो सब गा गई मीरा...
गाना था जो सब गा गई मीरा...
गाना था जो सब गा गई मीरा...
गाना था जो सब गा गई मीरा...