कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे, निर्धन के घर भी आ जाना - भजन (Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Lyrics)

Fursat Ho To Jagdambe Nirdhan Ke Ghar Bhi Aa Jana Lyrics in Hindi

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना ॥

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।

***

ना छतर बना सका सोने का,
ना चुनरी घर मेरे तारों जड़ी ।
ना पेडे बर्फी मेवा है माँ,
बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़ी।

इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ,
इस अर्जी को ना ठुकरा जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना ॥

***

जिस घर के दिए में तेल नहीं,
वहां जोत जलाऊँ मैं कैसे।
मेरा खुद ही बिछौना धरती पर,
तेरी चौकी सजाऊँ मैं कैसे॥

जहाँ मै बैठा वही बैठ के माँ,
बच्चों का दिल बहला जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना॥

***

तू भाग्य बनाने वाली है,
माँ मैं तकदीर का मारा हूँ।
हे दाती संभालो भिखारी को,
आखिर तेरी आँख का तारा हूँ॥

मै दोषी तू निर्दोष है माँ,
मेरे दोषों को तू भुला जाना ।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उसका भोग लगा जाना॥

***

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे...

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