मैं जग में संघ बसाऊँ, मैं जीवन को बिसराऊँ - संघ गीत (Mai Jag Me Sangh Basau Lyrics)

मैं जग में संघ बसाऊँ,
मैं जीवन को बिसराऊँ ॥धृ॥
त्याग तपस्या की ज्वाला से अन्तर दीप जलाऊँ,
हृत्तंत्री के तार तार से स्नेह सुधा बरसाऊँ,
मैं जीवन ज्योति जगाऊँ ॥१॥
सूख रही जग की फुलवारी स्नेह नीर बरसाऊँ,
जन्मभूमि में चिर गौरव की लतिका को सरसाऊँ,
मैं केसरियाँ फेहराऊँ ॥२॥
जीवन का यह पंथ निराला पल पल रुकता जाऊँ,
चलने में मिलने की आशा पग पग बढता जाऊँ,
मैं वैभव को अपनाऊँ ॥३॥
बूंद बनूँ फिर निर्झरनी के गायन में मिल जाऊँ,
राष्ट्र प्रेम के महा उदधि में सरबस को मिल जाऊँ,
मैं लेहरों में लेहराऊँ ॥४॥