माँ बस यह वरदान चाहिए - संघ गीत (Maa Bas Yah Varadan Chahiye)

माँ बस यह वरदान चाहिए।
जीवन-पथ जो कंटकमय हो,
विपदाओं का घोर वलय हो,
किन्तु कामना एक यही बस,
प्रतिपल पग गतिमान चाहिए॥१॥
हास मिले या त्रास मिले,
विश्वास मिले या फाँस मिले,
गरजे क्यों न काल ही सम्मुख,
जीवन का अभिमान चाहिए॥२॥
जीवन के इन संघर्षो में,
दुःख-कष्ट के दावानल में,
तिल-तिल कर तन जले न क्यों पर,
होंठों पर मुस्कान चाहिए॥३॥
कंटक पथ पर गिरना चढ़ना,
स्वाभाविक है हार जीतना,
उठ-उठ कर हम गिरें उठें फिर,
पर गुरुता का ज्ञान चाहिए॥४॥
मेरी हार देश की जय हो,
स्वार्थ -भाव का क्षण-क्षण क्षय हो,
जल-जल कर जीवन दूँ जग को,
बस इतना सम्मान चाहिए॥५॥