राधा जी की आरती: आरती श्री वृषभानुसुता की (Radha Ji Ki Aarti: Aarti Shri Vrashbhanusuta Ki)

राधा रानी की आरती मुख्यतः राधाष्टमी, कृष्ण-जन्माष्टमी, शरद पूर्णिमा, और कार्तिक मास के दौरान विशेष भक्ति भाव से की जाती है। इसके अलावा भक्तजन नित्य पूजा, व्रत-उपवास, और संकीर्तन या भागवत कथा के समापन पर भी राधा रानी की आरती करते हैं। वृंदावन, बरसाना जैसे तीर्थस्थलों पर तो प्रतिदिन प्रातः और सायंकाल दोनों समय राधा जी की आरती की जाती है।
राधा जी की आरती (Radha Ji Ki Aarti)
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की॥
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगजननि जग दुखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
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