अहोई माता आरती: जय अहोई माता (Ahoi Mata Aarti - Jay Ahoi Mata)

अहोई माता की आरती विशेष रूप से अहोई अष्टमी के दिन की जाती है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं करती हैं।
अहोई माता की आरती
जय अहोई माता,
जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु
विधाता॥
ॐ जय अहोई माता॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला,
तू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय अहोई माता॥
माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता॥
ॐ जय अहोई माता॥
तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता॥
ॐ जय अहोई माता॥
जिस घर थारो वासा,
वाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता॥
ॐ जय अहोई माता॥
तुम बिन सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता॥
ॐ जय अहोई माता॥
शुभ गुण सुंदर युक्ता,
क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता॥
ॐ जय अहोई माता॥
श्री अहोई माँ की आरती,
जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे,
पाप उतर जाता॥
ॐ जय अहोई माता,
मैया जय अहोई माता।
इस दिन अहोई अष्टमी की कथा और चंद्र दर्शन के बाद आरती की जाती है।
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