श्री धूमावती कवचम् (Shri Dhumavati Kavacham)

Shri Dhumavati Kavacham

श्री धूमावती कवच, तंत्र साधना में अत्यंत प्रभावशाली और दुर्लभ कवच माना गया है। दस महाविद्याओं में सबसे उग्र और शक्तिशाली मानी जाने वाली माता धूमावती का यह कवच शत्रु बाधा, तंत्र-मंत्र, काला जादू, कोर्ट केस, झूठे आरोप और सभी प्रकार के षड्यंत्रों से रक्षा प्रदान करता है। इस कवच का नियमित पाठ करने से शत्रु परास्त होते हैं, नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और साधक के भीतर एक नवीन ऊर्जा का संचार होता है। माँ धूमावती की साधना में यह कवच एक अचूक अस्त्र की तरह कार्य करता है, जिसकी दिव्य शक्ति से स्वयं शत्रु भी मित्र बनने पर विवश हो जाते हैं।

श्री धूमावती कवचम्

श्रीपार्वत्युवाच

धूमावत्यर्चनं शम्भो श्रुतम् विस्तरतो मया।
कवचं श्रोतुमिच्छामि तस्या देव वदस्व मे॥१॥

श्रीभैरव उवाच

शृणु देवि परङ्गुह्यन्न प्रकाश्यङ्कलौ युगे।
कवचं श्रीधूमावत्या: शत्रुनिग्रहकारकम्॥२॥

ब्रह्माद्या देवि सततम् यद्वशादरिघातिन:।
योगिनोऽभवञ्छत्रुघ्ना यस्या ध्यानप्रभावत:॥३॥

ॐ अस्य श्री धूमावती कवचस्य पिप्पलाद ऋषि: निवृत छन्द:, श्री धूमावती देवता, धूं बीजं, स्वाहा शक्तिः, धूमावती कीलकं, शत्रुहनने पाठे विनियोग:॥

ॐ धूं बीजं मे शिरः पातु धूं ललाटं सदाऽवतु।
धूमा नेत्रयुग्मं पातु वती कर्णौ सदाऽवतु॥१॥

दीर्ग्घा तुउदरमध्ये तु नाभिं में मलिनाम्बरा।
शूर्पहस्ता पातु गुह्यं रूक्षा रक्षतु जानुनी॥२॥

मुखं में पातु भीमाख्या स्वाहा रक्षतु नासिकाम्।
सर्वा विद्याऽवतु कण्ठम् विवर्णा बाहुयुग्मकम्॥३॥

चञ्चला हृदयम्पातु दुष्टा पार्श्वं सदाऽवतु।
धूमहस्ता सदा पातु पादौ पातु भयावहा॥४॥

प्रवृद्धरोमा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा।
क्षुत्पिपासार्द्दिता देवी भयदा कलहप्रिया॥५॥

सर्वाङ्गम्पातु मे देवी सर्वशत्रुविनाशिनी।
इति ते कवचम्पुण्यङ्कथितम्भुवि दुर्लभम्॥६॥

न प्रकाश्यन्न प्रकाश्यन्न प्रकाश्यङ्कलौ युगे।
पठनीयम्महादेवि त्रिसन्ध्यन्ध्यानतत्परैः॥७॥

दुष्टाभिचारो देवेशि तद्गात्रन्नैव संस्पृशेत्॥८॥

॥ इति भैरवीभैरवसम्वादे धूमावतीतन्त्रे धूमावतीकवचं सम्पूर्णम् ॥

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