बड़े दिन हुये बिछड़े सखा से - भजन (Bade Din Huye Bichhde Sakha Se)


बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो।
नहीं देखा है बरसों से उसको,
तनिक मोहे तक लेने दो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
ये जो द्वारिकाधीश तिहारे है,
बचपन के वो मित्र हमारे है।
संग खेले पढ़े गुरुकुल में,
गले जाके लगने दो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
द्वार पर एक निर्धन आया है,
पाँव नंगे है ऊघरी काया है।
शीश पगड़ी ना, झगा उसके तन पे,
कहे है तुमसे मिलने को॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
नाम अपना सुदामा बताता है,
नीर आंखों में भर भर लाता है।
कहता है मैं सखा श्याम का हूँ,
महल में जाने दो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
श्याम सुध बुध सभी बिसराए है,
दौड़ते दौड़ते द्वार आए है।
नंगे पैरों ही पहुंचे दरवाजे,
सखा का स्वागत करने दो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
सिंहासन पे सुदामा बिठाए है,
बैठ कदमो में मान बढ़ाए है।
नैन भर आए देख गरीबी,
आंसुओं से लगे रोने वो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
पानी धोने को चरण मंगाया है,
हाथ मोहन ने मगर ना लगाया है।
पाँव आंसुओं से ही धो डाले,
क्या कहने बंसी वाले हो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
भोग छप्पन फिर श्याम ने मँगाए है,
अपने हाथों से यार को खिलाए है।
खाए खुद सूखे चावल सखा के,
बदले में राजा कीन्हा हो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो।
नहीं देखा है बरसों से उसको,
तनिक मोहे तक लेने दो॥
बड़े दिन हुए बिछड़े सखा से,
ऐ द्वारपालो मिलने दो॥