भगत सिंह के प्रेरक विचार और कथन (Bhagat Singh Quotes in Hindi)

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शहीद भगत सिंह कोट्स

आपका जीवन तभी सफल हो सकता है जब आपका निश्चित लक्ष्य हो और आप उनके लिए पूरी तरह से समर्पित हो। - भगत सिंह

वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचलने में सक्षम नहीं होंगे। - भगत सिंह
भगत सिंह के प्रेरक विचार
आपका जीवन तभी सफल हो सकता है जब आपका निश्चित लक्ष्य हो और आप उनके लिए पूरी तरह से समर्पित हो।
वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचलने में सक्षम नहीं होंगे।
मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।
मेरे जीवन का केवल एक ही लक्ष्य है और वो है देश की आज़ादी। इसके अलावा कोई और लक्ष्य मुझे लुभा नहीं सकता।
जिंदा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मैं कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता।
जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दुसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं। - भगत सिंह
आलोचना और स्वतंत्र सोच एक क्रांतिकारी के दो अनिवार्य गुण हैं। - भगत सिंह
जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है, उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी।
सूर्य अपनी यात्रा में हमारे इस देश से ज़्यादा स्वतंत्र, खुशहाल और सुंदर किसी और देश में न आए।
क्रांति मानव जाति का एक अविभाज्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक अविनाशी जन्मसिद्ध अधिकार है। श्रम ही समाज का असली पालनहार है।
मैं महत्वाकांक्षा, आशा और आकर्षण से भरा हुआ हूं, लेकिन मैं जरूरत के समय सब कुछ त्याग सकता हूं।
भगत सिंह डायलॉग इन हिंदी

मैं इश्क़ भी लिखना चाहूँ, तो इंकलाब लिख जाता है। - भगत सिंह

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है। - भगत सिंह

मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी। - भगत सिंह

अगर बेहरों को सुनाना है तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए। - भगत सिंह
अगर बेहरों को सुनाना है तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए।
बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते, क्रांति की तलवार विचारों के पत्थर पर तेज होती है।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।
मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी।
इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है।