महामाया अष्टकम् - कृष्णदास विरचित (Mahamaya Ashtakam)

Mahamaya Ashtakam, महामाया अष्टकम्, Maa Durga Mantra

भद्रकाळी बिश्बमाता जगत्स्रोत कारिणी
शिबपत्नी पापहर्त्री सर्वभूत तारिणी
स्कन्दमाता शिवा शिवा सर्वसृष्टि धारिणी
नमः नमः महामाय़ा ! हिमाळय-नन्दिनी ॥१॥

नारीणाम्च संखिन्यापि हस्तिनी बा चित्रिणी
पद्मगन्धा पुष्परूपा सम्मोहिनी पद्मिनी
मातृ-पुत्री-भग्नि-भार्य़ा सर्वरूपा भबानी
नमः नमः महामाय़ा ! भबभय-खण्डिनी ॥२॥

पाप-ताप-भब-भय़ भूतेश्बरी कामिनी
तब-कृपा-सर्व-क्षय सर्वजना-बन्दिनी
प्रेम-प्रीति-लज्जा-न्याय नारीणाञ्च-मोहिनी
नमः नमः महामाय़ा ! ॠण्डमाळा-धारिणी ॥३॥

खड्ग-चक्र-हस्तेधारी संखीनि-सुनादिनी
संमोहना-रूपा-नारी हृदय-विदारिणी
अहंकार-कामरूपा-भुवन-विळासिनी
नमः नमः महामाय़ा ! जगत-प्रकाशिनी ॥४॥

लह्व-लह्व-तब-जिह्वा पापाशुर मर्द्धिनी
खण्ड-गण्ड-मुण्ड-स्पृहा शोभाकान्ति बर्द्धिनी
अङ्ग-भङ्ग-रंग-काय़ा माय़ाछन्द छन्दिनी
नमः नमः महामाय़ा ! दुःखशोक नाशिनी ॥५॥

धन-जन-तन-मान रूपेण त्वम् संस्थिता
काम-क्रोध-लोभ-मोह-मद बापि मूढता
निद्राहार-काम-भय़ पशुतुल्य़ जीबनात्-
नमः नमः महामाय़ा ! कुरु मुक्त बन्धनात् ॥६॥

मैत्री-दय़ा-लक्ष्मी-बृत्ति-अन्ते जीब लक्षणा
लज्जा-छाय़ा-तृष्णा-क्षुधा बन्धनस्य़ कारणा
तुष्टि-बुद्धि-श्रद्धा-भक्ति सदा मुक्ति दाय़ीका
शान्ति-भ्रान्ति-क्ळान्ति-क्षान्ति तब रूपा अनेका
प्रीति-स्मृति-जाति-शक्ति-रूपा माय़ा अभेद्य़ा
नमः नमः महामाय़ा ! नमस्त्वम् महाबिद्य़ा ॥७॥

नबदुर्गा-महाकाळि सर्वाङ्गभूषाबृत्ताम्
भुबनेश्वरी-मातङ्गी हन्तु मधुकैटभं
विमळा-तारा-षोड़शी हस्ते खड्ग धारीणि
धुमाबति-मा-बगळा महिषासुर मर्द्धिनी
बाळात्रिपुरासुन्दरी त्रिभुबन मोहिनी
नमः नमः महामाय़ा ! सर्वदुःख हारिणी ॥८॥

मम माता लोके मर्त्त्य़ कृष्णदास तब भृत्त्य़
य़दा तदा य़था तथा माय़ा छिन्न मोक्ष कथा
सदा सदा तव भिक्षा कृपा दीने भब रक्षा
नम नम महामाय़ा कृष्ण दासे तब दय़ा ॥९॥

॥ इति कृष्णदास विरचित महामाय़ा अष्टकम् यः पठति सः भव सागर निस्तरति ॥

Next Post Previous Post
Comments 💬
WhatsApp Channel  Join Now
Telegram Channel  Join Now