नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा घराना हो - भजन (Nagri Ho Ayodhya Si Raghukul Sa Gharana Ho)


नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो।
चरन हो राघव के, जहां मेरा ठिकाना हो॥
चरन हो राघव के,जहां मेरा ठिकाना हो॥
लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो।
स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराई हो॥
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो...॥
हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो।
लव कुश के जैसी, सन्तान हमारी हो॥
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो...॥
श्रद्धा हो श्रवण जैसी, शबरी सी भक्ति हो।
हनुमत के जैसी, निष्ठा और शक्ती हो॥
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो...॥
मेरी जीवन नैया हो, प्रभु राम खिवैया हो।
राम कृपा की सदा, मेरे सिर पर छैया हो॥
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो...॥
सरयू का किनारा हो, निर्मल जलधारा हो।
दर्श मुझे भगवन, जिस घड़ी तुम्हारा हो॥
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो...॥
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो।
चरन हो राघव के, जहां मेरा ठिकाना हो॥
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