दुर्गा सप्तशती: सिद्ध सम्पुट मन्त्र (Durga Saptashati Siddha Samput Mantra)

श्री दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक हैं, समय अभाव वश सभी का पाठ करना थोड़ा कठिन है। इसलिए दुर्गा सप्तशती के सिद्ध संपुट मंत्र का जप आसानी से किया जा सकता है। ये मंत्र अत्यंत शक्तिशाली हैं, इनके जाप से माँ दुर्गा प्रसन्न होकर मनोकामना सिद्ध करती हैं।

Durga Saptashati Siddha Samput Mantra

❀ सामूहिक कल्याण के लिये मंत्र -

देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्‍‌र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः॥

सम्पूर्ण देवताओं की शक्ति का समुदाय ही जिनका स्वरूप है तथा जिन देवी ने अपनी शक्ति से सम्पूर्ण जगत् को व्याप्त कर रखा है, समस्त देवताओं और महर्षियों की पूजनीया उन जगदम्बा को हम भक्ति पूर्वक नमस्कार करते हैं। वे हमलोगों का कल्याण करें। 

❀ विश्‍व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिये मंत्र -

यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्‍च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु॥

जिनके अनुपम प्रभाव और बल का वर्णन करने में भगवान् शेषनाग, ब्रह्माजी तथा महादेव जी भी समर्थ नहीं है, वे भगवती चण्डिका सम्पूर्ण जगत् का पालन एवं अशुभ भय का नाश करने का विचार करें।

❀ विश्‍व की रक्षा के लिये मंत्र -

या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्‍वम्॥

जो पुण्यात्माओं के घरों में स्वयं ही लक्ष्मीरूप से, पापियों के यहाँ दरिद्रतारूप से, शुद्ध अन्त:करणवाले पुरुषों के हृदय में बुद्धिरूप से, सत्पुरुषों में श्रद्धारूप से तथा कुलीन मनुष्य में लज्जारूप से निवास करती हैं, उन आप भगवती दुर्गा को हम नमस्कार करते हैं। देवि! आप सम्पूर्ण विश्व का पालन कीजिये।

❀ विश्‍व के अभ्युदय के लिये मंत्र -

विश्‍वेश्‍वरि त्वं परिपासि विश्‍वं
विश्‍वात्मिका धारयसीति विश्‍वम्।
विश्‍वेशवन्द्या भवती भवन्ति
विश्‍वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः॥

विश्वेश्वरि! तुम विश्व का पालन करती हो। विश्वरूपा हो, इसलिये सम्पूर्ण विश्व को धारण करती हो। तुम भगवान् विश्वनाथ की भी वन्दनीया हो। जो लोग भक्तिपूर्वक तुम्हारे सामने मस्तक झुकाते हैं, वे सम्पूर्ण विश्व को आश्रय देनेवाले होते हैं।

❀ विश्‍वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिये मंत्र -

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य।
प्रसीद विश्‍वेश्‍वरि पाहि विश्‍वं
त्वमीश्‍वरी देवि चराचरस्य॥

शरणागत की पीडा दूर करने वाली देवि! हम पर प्रसन्न होओ। सम्पूर्ण जगत् की माता! प्रसन्न होओ। विश्वेश्वरि! विश्व की रक्षा करो। देवि! तुम्हीं चराचर जगत् की अधीश्वरी हो।

❀ विश्‍व के पाप-ताप-निवारण के लिये मंत्र -

देवि प्रसीद परिपालय नोऽरिभीतेर्नित्यं
यथासुरवधादधुनैव सद्यः।
पापानि सर्वजगतां प्रशमं नयाशु
उत्पातपाकजनितांश्‍च महोपसर्गान्॥

देवि! प्रसन्न होओ। जैसे इस समय असुरों का वध करके तुमने शीघ्र ही हमारी रक्षा की है, उसी प्रकार सदा हमें शत्रुओं के भय से बचाओ। सम्पूर्ण जगत् का पाप नष्ट कर दो और उत्पात एवं पापों के फलस्वरूप प्राप्त होनेवाले महामारी आदि बडे-बडे उपद्रवों को शीघ्र दूर करो।

❀ विपत्ति-नाश के लिये मंत्र -

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

शरण में आये हुए दीनों एवं पीडितों की रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सबकी पीडा दूर करने वाली नारायणी देवी! तुम्हें नमस्कार है।

❀ विपत्तिनाश और शुभ की प्राप्ति के लिये मंत्र -

करोतु सा नः शुभहेतुरीश्‍वरी
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।

वह कल्याण की साधनभूता ईश्वरी हमारा कल्याण और मङ्गल करे तथा सारी आपत्तियों का नाश कर डाले।

❀ भय-नाश के लिये मंत्र -

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥

एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम्।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते॥

ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासुरसूदनम्।
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते॥

सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकार की शक्ति यों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गे देवि! सब भयों से हमारी रक्षा करो; तुम्हें नमस्कार है। कात्यायनी! यह तीन लोचनों से विभूषित तुम्हारा सौम्य मुख सब प्रकार के भयों से हमारी रक्षा करे। तुम्हें नमस्कार है। भद्रकाली! ज्वालाओं के कारण विकराल प्रतीत होनेवाला, अत्यन्त भयंकर और समस्त असुरों का संहार करनेवाला तुम्हारा त्रिशूल भय से हमें बचाये। तुम्हें नमस्कार है।

❀ पाप-नाश के लिये मंत्र-

हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽनः सुतानिव॥

देवि! जो अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण जगत् को व्याप्त करके दैत्यों के तेज नष्ट किये देता है, वह तुम्हारा घण्टा हमलोगों की पापों से उसी प्रकार रक्षा करे, जैसे माता अपने पुत्रों की बुरे कर्मो से रक्षा करती है।

❀ रोग-नाश के लिये मंत्र -

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा
तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥

देवि! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवाञ्छित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देनेवाले हो जाते हैं।

❀ महामारी-नाश के लिये मंत्र -

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा- इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके! तुम्हें मेरा नमस्कार हो।

❀ आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिये मंत्र -

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो। परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।

❀ सुलक्षणा पत्‍‌नी की प्राप्ति के लिये -

पत्‍‌नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

मन की इच्छा के अनुसार चलने वाली मनोहर पत्‍‌नी प्रदान करो, जो दुर्गम संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो।

❀ बाधा-शान्ति के लिये मंत्र -

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्‍वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्॥

सर्वेश्वरि! तुम इसी प्रकार तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को शान्त करो और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहो।

❀ सर्वविध अभ्युदय के लिये मंत्र -

ते सम्मता जनपदेषु धनानि तेषां
तेषां यशांसि न च सीदति धर्मवर्गः।
धन्यास्त एव निभृतात्मजभृत्यदारा
येषां सदाभ्युदयदा भवती प्रसन्ना॥

सदा अभ्युदय प्रदान करनेवाली आप जिन पर प्रसन्न रहती हैं, वे ही देश में सम्मानित हैं, उन्हीं को धन और यश की प्राप्ति होती है, उन्हीं का धर्म कभी शिथिल नहीं होता तथा वे ही अपने हृष्ट-पुष्ट स्त्री, पुत्र और भृत्यों के साथ धन्य माने जाते हैं।

❀ दारिद्र्य दुःख आदि नाश के लिये मंत्र -

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥

माँ दुर्गे! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरषों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं। दु:ख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवि! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिये सदा ही दया‌र्द्र रहता हो।

❀ रक्षा पाने के लिये मंत्र -

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च॥

देवि! आप शूल से हमारी रक्षा करें। अम्बिके! आप खड्ग से भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टा की ध्वनि और धनुष की टंकार से भी हमलोगों की रक्षा करें।

❀ समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये मंत्र -

विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः
स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्का
ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः॥

देवि! सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे एवं परा वाणी हो।

❀ सब प्रकार के कल्याण के लिये मंत्र-

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

नारायणी! तुम सब प्रकार का मङ्गल प्रदान करने वाली मङ्गलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को सिद्ध करने वाली, शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है।

❀ शक्ति-प्राप्ति के लिये मंत्र -

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥

तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणी! तुम्हें नमस्कार है।

❀ प्रसन्नता की प्राप्ति के लिये मंत्र -

प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्‍वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव॥

विश्व की पीडा दूर करने वाली देवि! हम तुम्हारे चरणों पर पडे हुए हैं, हमपर प्रसन्न होओ। त्रिलोक निवासियों की पूजनीया परमेश्वरि! सब लोगों को वरदान दो।

❀ विविध उपद्रवों से बचने के लिये मंत्र -

रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्‍च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्‍वम्॥

जहाँ राक्षस, जहाँ भयंकर विषवाले सर्प, जहाँ शत्रु, जहाँ लुटेरों की सेना और जहाँ दावानल हो, वहाँ तथा समुद्र के बीच में भी साथ रहकर तुम विश्व की रक्षा करती हो।

❀ बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये मंत्र -

सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः॥

मनुष्य मेरे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त तथा धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।

❀ भुक्ति-मुक्ति की प्राप्ति के लिये मंत्र -

विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

हे देवी कल्याण करो , उत्तम संपत्ति दो ,  रूप (आत्मस्वरूप का ज्ञान ) दो , जय दो , यश दो, शत्रुओं का नाश करो।

❀ पापनाश तथा भक्ति की प्राप्ति के लिये मंत्र -

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्‍‌या चण्डिके दुरितापहे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

देवी अपर्णा (देवी दुर्गा का दूसरा नाम) को नमस्कार, जिनके प्रति भक्त सदैव भक्ति से झुकते हैं, और जो भक्तों को पापों से दूर रखती हैं। हे देवी, कृपया मुझे आध्यात्मिक सुंदरता प्रदान करें, कृपया मुझे आध्यात्मिक विजय प्रदान करें, कृपया मुझे आध्यात्मिक महिमा प्रदान करें और कृपया मेरे (आंतरिक) शत्रुओं को नष्ट करें।

❀ स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिये मंत्र -

सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥

हे देवी जब स्वर्ग और मोक्ष देने वाली हो, सर्वस्वरूपा हो (कह कर) तुम्हारी स्तुति की जाती है , तब स्तुति के लिए इससे उत्तम उक्तियाँ क्या होगी।

❀ स्वर्ग और मुक्ति के लिये मंत्र -

सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

सभी की बुद्धि के रूप में, मनुष्यों के हृदय में निवास करते हुए। हे देवी नारायणी, स्वर्ग और मुक्ति प्रदान करने वाली, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

❀ मोक्ष की प्राप्ति के लिये मंत्र -

त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्‍वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्त्वं
 वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतुः॥

आप वैष्णव शक्ति हैं, असीम शक्तिशाली हैं, आप ब्रह्माण्ड के सर्वोच्च बीज माया हैं। हे देवी, यह सब आकर्षक है, आप पृथ्वी पर मुक्ति का सुखद कारण हैं।

❀ स्वप्न में सिद्धि-असिद्धि जानने के लिये मंत्र -

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके ।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय ॥

हे देवी दुर्गा, मैं आपको प्रणाम करता हूं, जो मेरी सभी इच्छाओं और उद्देश्यों को पूरा करती हैं। मुझे सपने में सब कुछ दिखाओ चाहे वह सफल हो या नहीं।

❀ ये सभी मंत्र दुर्गा सप्तशती से लिए गए हैं, जिनके जाप, भक्त जन अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए कभी भी कर सकते हैं। 

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